🔴 ➡️ 🟠 👉 सरकार ने अपने हलफनामे में वही बात कही है, जो नोटबंदी के बाद, तत्कालीन वित्तमंत्री ने,कहा था। पर एक कटु तथ्य यह भी है कि, आज तक सरकार यह आंकड़े तक नहीं दे पाई कि, नकली नोट कितने बरामद हुए हैं, काला धन कितना सामने आया है और नकदी का कितना चलन कम हुआ है। अदालत में जब इन सब पर बहस होगी तो ऐसे कई सवाल पूछे जाएंगे और तब यह देखना दिलचस्प होगा कि, सरकार, जिन उद्देश्यों को अपने हलफनामे में गिना रही है, उसमे से कितने उद्देश्य पूरे हुए हैं और यदि वे पूरे नहीं हुए हैं तो उसका कारण क्या है। अदालत में सरकार का यह कहना कि, "सुप्रीम कोर्ट आम तौर पर आर्थिक नीतियों की न्यायिक समीक्षा से परहेज करता रहा है" यह बताता है कि, सरकार नोटबंदी के मुद्दे पर लंबी और गंभीर अदालती सुनवाई से बचना चाहती है क्योंकि, सरकार को भी इस बात का एहसास हो गया है कि, नोटबंदी के कदम से, उसके उद्देश्य, जो इस फैसले के बाद से बराबर बताए जा रहे हैं, पूरे नहीं हुए हैं। फिलहाल यह मामला अदालत में है और अभी सरकार ने अपना पक्ष रखा है, आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प रहेगा‼️
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