🔴 ➡️ 🟠 👉 सरकार ने अपने हलफनामे में वही बात कही है, जो नोटबंदी के बाद, तत्कालीन वित्तमंत्री ने,कहा था। पर एक कटु तथ्य यह भी है कि, आज तक सरकार यह आंकड़े तक नहीं दे पाई कि, नकली नोट कितने बरामद हुए हैं, काला धन कितना सामने आया है और नकदी का कितना चलन कम हुआ है। अदालत में जब इन सब पर बहस होगी तो ऐसे कई सवाल पूछे जाएंगे और तब यह देखना दिलचस्प होगा कि, सरकार, जिन उद्देश्यों को अपने हलफनामे में गिना रही है, उसमे से कितने उद्देश्य पूरे हुए हैं और यदि वे पूरे नहीं हुए हैं तो उसका कारण क्या है। अदालत में सरकार का यह कहना कि, "सुप्रीम कोर्ट आम तौर पर आर्थिक नीतियों की न्यायिक समीक्षा से परहेज करता रहा है" यह बताता है कि, सरकार नोटबंदी के मुद्दे पर लंबी और गंभीर अदालती सुनवाई से बचना चाहती है क्योंकि, सरकार को भी इस बात का एहसास हो गया है कि, नोटबंदी के कदम से, उसके उद्देश्य, जो इस फैसले के बाद से बराबर बताए जा रहे हैं, पूरे नहीं हुए हैं। फिलहाल यह मामला अदालत में है और अभी सरकार ने अपना पक्ष रखा है, आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प रहेगा‼️
#अर्थचर्चा #नोटबंदी #सुप्रीमकोर्ट
🟠➖मोरबी याद है हां वहीं जहाँ पर अभी ब्रिज टूटा था और सरकारी आंकड़े में 135 लोगों की मौत हुई थी〰️तो जानिए भाजपा ने वहां से किसको टिकिट दिया है, भाजपा ने वहां से निचली अदालत से हत्या के दोषी, और हाईकोर्ट में गावाहों के मुकर जाने के बाद बरी हुए बीजेपी के पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को टिकिट दिया है🔸एक मामला भ्रष्टाचार का था। विधायक जी को 5 साल के कार्यकाल का 3 साल साबरमती जेल में बिताना पड़ा था। बाद गवाहों के मुकर जाने के बाद हाईकोर्ट से बरी हो गए🔹अब इनको न्यूज़ चैनल, न्यूज़ वेबसाइट और भाजपा मोरबी हादसे में लोगों की जान बचाने वाला मसीहा बता रहे हैं, जबकि इनकी वीडियो अगर यह खुद अपनी एक्टिंग देख लें तो इनको शायद शर्म आ जाएगी〰️पर मौजूदा दौर में जिन लोगों ने सच में लगभाग 200 लोगों की जान बचाई वो एक दिन सोशल मीडिया में आने के बाद गायब हो गए, उनको किसी ने टिकिट नहीं दिया और बड़े मीडिया चैनल ने उनका इंटरव्यू भी नहीं लिया, जिसमें एक पुलिस वाला, एक हिन्दू लड़का और 4 मुस्लिम लड़के शामिल हैं, इन 6 लोगों ने लगभग 200 लोगों की जान बचाई, जिनके वीडियो वहां होने और जान बचाने के प्रमाण हैं‼️मोरबी के भाजपा पूर्व विधायक कांति अमृतिया, जिन्हें आखिरी बार मोरबी के पीड़ितों को बचाने का नाटक करते हुए देखा गया था, घुटने से भी कम गहरे पानी में एक फ्लोट ट्यूब के साथ भाजपा द्वारा मोरबी के टिकट से सम्मानित किया ‼️⬇️
#MorbiBridgeCollapse⛔〰️जमानत और स्ट्रॉ की आस में, 84 वर्षीय स्टेन स्वामी ने जेल में ही दम तोड़ दिया स्टेन स्वामी यलगार परिषद केस में जेल में थे जमानत और गंभीरतम मामलों में, सजा काट रहे, जघन्य अपराधियों की समय पूर्व रिहाई के बारे में अदालत को एक विस्तृत और पारदर्शी निर्देश जारी करना चाहिए,, कुछ लोग यह तर्क दे रहे हैं कि, सोनिया गांधी और उनके परिवार ने, राजीव गांधी के हत्यारों को माफ कर दिया इसलिए उनका रिहा करना कोई मुद्दा नहीं बनाना चाहिए"सोनिया गांधी और उनके परिवार की माफी से, इस रिहाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता है,, यह एक जघन्यतम अपराध था❗उनकी माफी, उनकी सदाशयता और, एक मानवीय कदम हो सकती है पर काफी का, कानून पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कल यदि कोई व्यक्ति, अपने प्रिय की हत्या पर, अपने मानवीय मूल्यों या किसी अन्य कारण से, हत्यारों को माफ कर दे या कोई कानूनी कार्यवाही न करना चाहे तो क्या, पुलिस कोई केस दर्ज नहीं करेगी ❓कानून कहता है, कि यदि कोई भी व्यक्ति मुकदमा दर्ज न कराना चाहे, तो फिर पुलिस खुद ही यह FIR दर्ज करेगी, कोई अफसर वादी बनेगा, मुकदमे की तफतीश होगी, और मुल्जिमों के खिलाफ कार्यवाही भी,, यदि लोगों की मर्जी पर, मुकदमे दर्ज, तफतीश, और सजा, रिहा होते रहे तो, कानून का मतलब क्या रहेगा ❓⬇️
#राजीवगांधीहत्याकांड #सुप्रीमकोर्ट #कानून
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🔴〰️हत्यारे की बेटी को भाजपा ने टिकिट दिया, जिसने लोगों की हत्या की वो भी आज जेल से बाहर है और भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ रहीं बेटी का प्रचार कर रहा है〰️बता दें इसका बाप निचली अदालत से दोषी साबित हो चूका है, और उम्रकैद की सजा काट रहा है पर अभी हाईकोर्ट जमानत पर बाहर है, यह आरएसएस और VHP का सदस्य है, अब भाजपा के टिकिट पर बेटी चुनाव लड़ रही है
⛔〰️जमानत और स्ट्रॉ की आस में, 84 वर्षीय स्टेन स्वामी ने जेल में ही दम तोड़ दिया स्टेन स्वामी यलगार परिषद केस में जेल में थे जमानत और गंभीरतम मामलों में, सजा काट रहे, जघन्य अपराधियों की समय पूर्व रिहाई के बारे में अदालत को एक विस्तृत और पारदर्शी निर्देश जारी करना चाहिए,, कुछ लोग यह तर्क दे रहे हैं कि, सोनिया गांधी और उनके परिवार ने, राजीव गांधी के हत्यारों को माफ कर दिया इसलिए उनका रिहा करना कोई मुद्दा नहीं बनाना चाहिए"सोनिया गांधी और उनके परिवार की माफी से, इस रिहाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता है,, यह एक जघन्यतम अपराध था❗उनकी माफी, उनकी सदाशयता और, एक मानवीय कदम हो सकती है पर काफी का, कानून पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कल यदि कोई व्यक्ति, अपने प्रिय की हत्या पर, अपने मानवीय मूल्यों या किसी अन्य कारण से, हत्यारों को माफ कर दे या कोई कानूनी कार्यवाही न करना चाहे तो क्या, पुलिस कोई केस दर्ज नहीं करेगी ❓कानून कहता है, कि यदि कोई भी व्यक्ति मुकदमा दर्ज न कराना चाहे, तो फिर पुलिस खुद ही यह FIR दर्ज करेगी, कोई अफसर वादी बनेगा, मुकदमे की तफतीश होगी, और मुल्जिमों के खिलाफ कार्यवाही भी,, यदि लोगों की मर्जी पर, मुकदमे दर्ज, तफतीश, और सजा, रिहा होते रहे तो, कानून का मतलब क्या रहेगा ❓⬇️
#राजीवगांधीहत्याकांड #सुप्रीमकोर्ट #कानून
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